Sunday, December 7, 2008

जिम्मेदारी के अहसास को जीवित रखें जनसंचार माध्यम

-डॉ. अशोक कुमार मिश्र
आधुनिक युग में जनमत निर्माण में जनसंचार माध्यमों की सर्वाधिक प्रभावशाली भूमिका है । मीडिया जनता की मानसिकता को प्रभावित करने का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है । ऐसे में जनसंचार माध्यमों की महत्ता अत्यधिक प्रभावशाली हो जाती है । मीडिया समाज को नई दिशा दे सकता है । उनमें रचनात्मकता की वृद्धि कर सकता है । उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचा सकता है । लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जनसंचार माध्यमों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है । इसलिए उन्हें अपनी महत्ता को ध्यान में रखकर ही काम करना चाहिए । लेकिन पिछले दिनों दो बार ऐसे मौके आए जब इलेक्ट्रानिक मीडिया की भूमिका पर अंगुली उठी ।
पहली बार तब जब महाप्रयोग की घटना हुई । तब कुछ चैनलों ने महाप्रयोग को इस तरह प्रस्तुत किया मानो इसके बाद अब दुनिया का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। कुछ चैनलों ने घोषणा कर दी कि अब दुनिया मिट जाएगी । इससे कुछ बच्चों के मस्तिष्क पर इतना विपरीत प्रभाव पड़ा कि उन्हें मनोचिकित्सक के पास ले जाना पड़ा । महज लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसी सनसनीखेज खबरों का प्रसारण किया गया । हकीकत में सभी लोगों ने देखा वह एक प्रयोग से ज्यादा कुछ नहीं था ।
इसी तरह मुंबई हमले की घटना का जिस तरह लाइव प्रसारण इलेक्ट्रानिक मीडिया ने किया वह भी ठीक नहीं था । इस प्रसारण ने लोगों में दहशत भी पैदा कर दी । मुंबई की घटना से भी आतंकवादी दहशत फैलाना ही चाहते थे । मुंबई हमले के लगातार प्रसारण ने लोगों में दहशत पैदा करके उनकी रातों की नींद उडा दी । केंद्र सरकार ने भी इस लाइव रिपोर्टिंग पर नाराजगी जताई है । कई चैनलों को नोटिस भी जारी किए है ं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यह भी कहा है कि संवेदनशील स्थिति में चैनलों को टीआरपी के दायरे से बाहर निकलकर जिम्मेदारी निभानी चाहिए ।
ऐसी स्थिति में जरूरी है कि जनसंचार माध्यमों को अपनी जिम्मेदारी और महत्ता को समझते हुए इस तरह काम करना चाहिए कि कोई अंगुली न उठाने पाए । यह एक पवित्र और जिम्मेदारी का व्यवसाय है और इसकी पवित्रता बनाए रखने की जिम्मेदारी समस्त जनसंचार माध्यमों की है।